Thursday 9 November 2017

          तो कोइ बात बने
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मुकद्दर बदलने की बात करते हो
मुल्क की तक़दीर सवारने की बात करते हो
छोड़कर महलों की रंगीनियत औ ऐशो आराम,
पथरीली राहों पर कुछ कदम बढ़ाओ
तो कोइ बात बने.
माना कि हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा है
और तुम रोशनी फैलाने की बात करते हो
किसी अंधेरे कोने में एक दीपक ही सही
ख़ुद से जलाओ तो कोइ बात बने.
हर तरफ दर्द है, बेरुखी है, मगरूरी है
और तुम रूह की पाकिजगी की बात करते हो
तुम खुद मुस्कुराओ तो क्या यह काफ़ी है?
किसी गरीब के चेहरे पे हंसी लाओ
तो कोइ बात बने.
दुनिया बदलने की बात करते हो
आसमान में सुराख करने की बात करते हो
भरकर मन में विश्वास और फौलादी जज्बा
एक पत्थर तबीयत से उछालो तो कोइ बात बने.
द्वारा राज कुमार