सालों बाद आज नारियल का पेड़ फलों से लदा है।
सुंदर, सुडौल, मीठे और मनमोहक।
कुछ अभी छोटे तो कुछ बृहद।
वही नारियल का पेड़ जो झूमता रहता है
मेरे फ्लैट की बाल्कनी के सामने।
वर्षों से जो हमारे सुख दुख का साथी।
झूमते रहते हैं उसके पत्ते और डालियां।
अक्सर वो बांहे पसार देता है हमारी बाल्कनी में।
जो हमारी शांत जीवन यात्रा का साथी।
हमारे थके मन को सुकून देने वाला।
कितने ही जीव जंतुओं को पनाह देने वाला।
वही नारियल जिस पर गिलहरियां दिन भर अठखेलियां करती दौड़ती भागती रहती ।
वही जिस पर कौवों ने कभी घोंसला बनाया था
और अंडे दिए थे बच्चों का कौतूहल बढ़ाते हुए।
आज सालों बाद यह फला फूला है।
क्या यह हमारे उज्ज्वल भविष्य का द्योतक है।
अति सुन्दर कविता
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